बस ड्राइवर का सपना था बेटी अधिकारी बने, दूसरे अटेम्प्ट में हुआ सपना पूरा, आज बेटी है IAS अधिकारी…

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भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक, यूपीएससी परीक्षा, मई में होने वाली है और उम्मीदवार पूरी मेहनत से इसकी तैयारी में लगे हुए हैं. हर साल हजारों युवा इस परीक्षा को पास करने का सपना देखते हैं, और इसके लिए सफल आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की कहानियों से प्रेरणा लेते हैं. ऐसे में हम आपके लिए एक खास सीरीज ‘सक्सेस मंत्रा’ लेकर आए हैं, जिसमें आज हम आपको बताएंगे आईएएस प्रीति हुड्डा की, जिन्होंने तमाम मुश्किलों और आर्थिक तंगी के बावजूद अपने सपने को साकार किया और आईएएस अधिकारी बनीं.

जानिए कौन हैं आईएएस प्रीति हुड्डा

प्रीति हुड्डा हरियाणा के बहादुरगढ़ की रहने वाली हैं. उनके पिता दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (DTC) में बस ड्राइवर थे. परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन प्रीति ने कभी हार नहीं मानी. उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी हिंदी माध्यम से करने का फैसला किया और हिंदी को ही वैकल्पिक विषय के रूप में चुना.

हालांकि, उनका पहला प्रयास असफल रहा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. प्रीति ने फिर से परीक्षा दी और आखिरकार 2017 में 288वीं ऑल इंडिया रैंक (AIR) हासिल कर आईएएस अधिकारी बनने का सपना पूरा किया.

पीएचडी करते-करते की तैयारी

प्रीति शुरू से ही एक होनहार छात्रा थीं. उन्होंने 10वीं में 77% और 12वीं में 87% अंक हासिल किए थे. लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उनके माता-पिता चाहते थे कि वह आगे की पढ़ाई छोड़कर शादी कर लें. हालांकि, प्रीति ने अपने सपनों से समझौता नहीं किया और दिल्ली के लक्ष्मीबाई कॉलेज से हिंदी विषय में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से हिंदी में पीएचडी की पढ़ाई की.

दिलचस्प बात यह है कि प्रीति को शुरू में सरकारी सेवा में जाने की कोई खास रुचि नहीं थी. लेकिन उनके पिता चाहते थे कि वह एक आईएएस अधिकारी बनें. जब प्रीति ने JNU में दाखिला लिया, तब उन्हें पहली बार यूपीएससी परीक्षा के बारे में ठीक से जानकारी मिली. एम.फिल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी.

ये थी UPSC तैयारी की रणनीति

प्रीति हुड्डा ने यूपीएससी की तैयारी के लिए एक अलग और अनोखी रणनीति अपनाई. उनका मानना है कि लंबे समय तक बिना रुके 10 घंटे पढ़ाई करने से ज्यादा जरूरी यह है कि सही रणनीति और सोच-समझ के साथ पढ़ाई की जाए.

उन्होंने कहा कि तैयारी के दौरान आनंद लेना भी जरूरी है, वरना पढ़ाई बोझ लगने लगती है. प्रीति के अनुसार, किताबों का ढेर लगाने के बजाय, सिलेबस को ध्यान से समझकर उस पर फोकस करना चाहिए. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि समय-समय पर रिवीजन जरूर करना चाहिए.

सीखने लायक बातें

आईएएस प्रीति हुड्डा की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो किसी भी परिस्थिति को बदला जा सकता है. कठिनाइयों से घबराने के बजाय, हमें अपनी मेहनत और आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए.

 

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