अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जहां पूरे देश और प्रदेशों में बड़े-बड़े सरकारी आयोजन हो रहे हैं. महिलाओं के सम्मान के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं. वहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन B.Ed. प्रशिक्षित सहायक शिक्षिकाओं ने धरना प्रदर्शन किया. इनका आरोप है कि इन प्रशिक्षित सहायक शिक्षिकाओं को सरकार की भर्ती प्रक्रिया का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, जिसके चलते पहले इन्हें रोजगार तो दिया गया, लेकिन कुछ ही महीनों बाद इनसे रोजगार छीन कर सड़क पर आने को मजबूर कर दिया गया.
शिक्षिकाओं ने बताया कि सरकारी लापरवाही के चलते करीब 3 हज़ार B. Ed. प्रशिक्षित शिक्षकों का भविष्य अंधेरे में है. किसी की शादी टूट गई, किसी का घर बार उजड़ गया लेकिन सरकार सिर्फ महिला उत्थान के बड़े बड़े दावे कर झूठी वाहवाही बंटोरने में व्यस्त है.
छत्तीसगढ़ के 2,897 बर्खास्त B.Ed प्रशिक्षित सहायक शिक्षक एक बार फिर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. इन शिक्षकों को हाईकोर्ट के फैसले के बाद नौकरी से बाहर कर दिया गया है. अब ये शिक्षक अपनी नौकरी बचाने और न्याय की मांग को लेकर रायपुर में जमा हुए हैं.
जानिए क्या है पूरा मामला
10 दिसंबर 2024 को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि सहायक शिक्षक के पद के लिए केवल D.Ed डिग्रीधारी पात्र होंगे. इस फैसले के बाद 2,897 B.Ed धारक सहायक शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी गई.
वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय शनिवार सुबह अपने आवास से निकले और महिला दिवस कार्यक्रम में जा रहे थे, इस दौरान पूरे प्रदेश की महिलाओं को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बधाई भी दी. दूसरी ओर अपने मासूस बच्चों को साथ ले लाडली बहने न्याय के लिए गुहार लगा रही थी. लेकिन मुख्यमंत्री तक बहनों की गुहार पहुंच नही सकी.
नौकरी जाने से किसी की टूटी शादी
सहायक शिक्षिकाओं ने बताया कि नौकरी जाने के बाद किसी की पहले से शादी टूट गई, तो किसी को बरोजगार होना पड़ा. हालत यह है कि जीवन यापन के लिए भी बेहद संघर्ष करना पड़ रहा है. वहीं दूसरी तरफ सरकार ने आयोग तो बना दिया है. लेकिन यह आयोग न्याय कब तक दिला पायेगा इसकी समय सीमा सरकार भी निश्चित नहीं कर पा रही है.
अब आर-पार की लड़ाई की तैयारी
इससे पहले प्रदेश भर के करीब 3 हज़ार सहायक शिक्षक अपने रोजगार के लिए राजधानी रायपुर में आंदोलन कर चुके हैं. यह आंदोलन करीब 45 दिनों तक चला था. लेकिन नगरीय निकाय चुनाव की आचार संहिता के चलते इन्हें अपना आंदोलन रोकना पड़ा. अब एक बार फिर तमाम सहायक शिक्षक अपने हक के लिए महिला दिवस पर राजधानी पहुंचे. इन अतिथि शिक्षकों का कहना है कि इस बार लड़ाई आर पार की होगी.