दिल्ली हाईकोर्ट ने जनता दल यूनाइटेड (JDU) के निष्कासित सदस्य द्वारा दायर उस अपील को खारिज कर दिया है जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जेडीयू अध्यक्ष चुने जाने को चुनौती दी गई थी. चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने जेडीयू के निष्कासित सदस्य गोविंद यादव द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया है.
याचिका के जरिए क्या दी गई थी दलील?
याचिका दायर कर जेडीयू द्वारा 10.11.2016, 13.11.2019, 18.02.2021, 03.08.2021 और 27.09.2021 को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत किए गए कम्युनिकेशन को अवैध घोषित करने की मांग की थी. अपनी अर्जी में गोविंद यादव ने दलील दी थी कि ये कम्युनिकेशन जेडीयू के संविधान और नियमों के उल्लंघन में कथित रूप से धोखाधड़ी से कराए गए चुनावों के आधार पर जारी किए गए थे.
दिल्ली हाईकोर्ट के सिंगल जज की बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि चुनाव आयोग ने याचिकाकर्ता की आपत्तियों को अस्वीकार कर दिया था और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले गुट को वैध जेडीयू के रूप में मान्यता दी गई थी. साथ ही उनके गुट को बिहार में राज्य पार्टी के रूप में आरक्षित चुनाव चिह्न “तीर” के उपयोग का अधिकार प्रदान किया गया था.
दिल्ली HC की डिविजन बेंच ने क्या कहा?
दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सिंगल जज के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि कोर्ट में फैसले को चुनौती देने वाली अपील में कोई ठोस आधार नहीं है. कोर्ट ने कहा हम पूरी तरह से सिंगल जज द्वारा दिए गए फैसले से संतुष्ट है,जिसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29A (9) के तहत जांच के दायरे से पूरी तरह बाहर है. कोर्ट ने कहा हम इस मामले में सिंगल जज द्वारा दिए गए राय से सहमत हैं और अपील के बिना किसी आधार के पाते हुए खारिज करते हैं.