अनस्कूलिंग करने वाले बच्चों का कैसा होगा करियर, कौन से देश इस दिशा में कर रहे काम?…

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परंपरागत शिक्षा प्रणाली से हटकर एक नया ट्रेंड दुनिया भर में तेजी से अपनी जगह बना रहा है ‘अनस्कूलिंग’. यह शिक्षा का एक ऐसा मॉडल है जिसमें बच्चों को औपचारिक स्कूली व्यवस्था से बाहर रखकर उन्हें अपनी रुचि और प्राकृतिक जिज्ञासा के अनुसार सीखने की आजादी दी जाती है. लेकिन सवाल उठता है कि क्या इस तरह की शिक्षा पाने वाले बच्चों का भविष्य और करियर सुरक्षित होगा?

 

 

जानिए क्या है अनस्कूलिंग 

अनस्कूलिंग शिक्षा का एक ऐसा तरीका है जिसमें बच्चे किसी निर्धारित पाठ्यक्रम या स्कूली समय-सारिणी के बिना, अपनी रुचि और गति से सीखते हैं. यह होमस्कूलिंग से भी अलग है, क्योंकि इसमें माता-पिता बच्चों को किसी तय पाठ्यक्रम पर नहीं बल्कि उनकी स्वाभाविक जिज्ञासा को प्रोत्साहित करते हैं. शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. अमित शर्मा के अनुसार, ‘अनस्कूलिंग बच्चों को real-world experiences के माध्यम से सीखने पर जोर देता है. इसमें बच्चों को प्रश्न पूछने, खोज करने और अपने हितों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.’

 

 

अनस्कूलिंग और करियर की संभावनाएं

कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि अगर बच्चे स्कूल नहीं जाएंगे तो उनका करियर कैसा होगा? क्या वे कॉम्पिटेटिव जॉब मार्केट में सफल हो पाएंगे? अनस्कूलिंग के समर्थकों का मानना है कि इस तरह की शिक्षा पाने वाले बच्चे अक्सर अधिक आत्मनिर्भर, रचनात्मक और problem-solving skills से लैस होते हैं. वे एंटरप्रेन्योरशिप की ओर अधिक झुकाव रखते हैं और नए विचारों को अपनाने में अधिक फ्लेक्सबल होते हैं.

अनस्कूलिंग के वैश्विक अध्ययनों से पता चलता है कि इस पद्धति से सीखने वाले बच्चे अक्सर क्रिएटिव आर्ट्स, टेक्नॉलजी इनोवेशन और सोशल एंटरप्रेन्योरशिप जैसे क्षेत्रों में अपना करियर बनाते हैं. ये बच्चे परंपरागत नौकरियों के अलावा नए-नए करियर पाथ तलाशने में अधिक सफल होते हैं.

शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. मीरा गुप्ता बताती हैं, ‘डिजिटल एज में स्किल्स का महत्व डिग्री से अधिक हो गया है. कई बड़ी कंपनियां जैसे गूगल और एप्पल अब फॉर्मल डिग्री को हायरिंग का इसेंचल क्राइटेरिया नहीं मानतीं, बल्कि प्रैक्टिकल स्किल्स और इनोवेटिव थिंकिंग पर अधिक जोर देती हैं.’

 

 

हालांकि, चुनौतियां भी हैं. अनस्कूल्ड बच्चों को फॉर्मल डिग्री और सर्टिफिकेट की कमी का सामना करना पड़ सकता है, जिन्हें कई एम्प्लॉयर अभी भी महत्व देते हैं.

जानिए कौन से देश दे रहे हैं अनस्कूलिंग को बढ़ावा?

फिनलैंड

फिनलैंड, जिसकी शिक्षा प्रणाली पहले से ही दुनिया में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है, अब अनस्कूलिंग के कांसेप्ट को अपने मुख्यधारा शिक्षा प्रणाली में शामिल कर रहा है. यहां “phenomenon-based learning” को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसमें विषयों की सीमाओं को मिटाकर असली जीवन के कॉन्सेप्ट्स पर ध्यान केंद्रित किया जाता है.

न्यूजीलैंड

न्यूजीलैंड में, अनस्कूलिंग को कानूनी मान्यता प्राप्त है और सरकार इसे एक वैकल्पिक शिक्षा मार्ग के रूप में स्वीकार करती है. यहां के शिक्षा मंत्रालय अनस्कूलिंग करने वाले परिवारों को संसाधन और समर्थन प्रदान करता है.

कनाडा

कनाडा के कई प्रांतों में अनस्कूलिंग के लिए लचीले नियम हैं. यहां “unschooling-friendly communities” बढ़ रही हैं, जहां परिवार अपने अनुभवों को साझा करते हैं और संसाधनों का आदान-प्रदान करते हैं.

भारत में अनस्कूलिंग की स्थिति

भारत में अनस्कूलिंग अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है. बेंगलुरु, मुंबई और पुणे जैसे शहरों में कई परिवार इस विकल्प को अपना रहे हैं.

शिक्षाविद् सुधा रामन कहती हैं, ‘भारत में अनस्कूलिंग के लिए कानूनी ढांचा अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन नई शिक्षा नीति 2020 में लचीलापन और विकल्पों को महत्व दिया गया है, जो अनस्कूलिंग जैसे वैकल्पिक शिक्षा मॉडल्स के लिए अनुकूल वातावरण तैयार कर सकता है.’

 

 

 

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