बॉम्बे हाईकोर्ट ने 3 मार्च को कैल्स रिफाइनरीज मामले में दर्ज FIR के आदेश के खिलाफ सेबी, BSE की याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की है. CNBC-TV18 की रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट ने 4 मार्च को याचिकाओं की सुनवाई तक FIR दर्ज करने पर रोक लगाने के मौखिक निर्देश जारी किए हैं. बता दें कि सेबी ने माधबी पुरी बुच और पांच अन्य के खिलाफ FIR दर्ज करने के मुंबई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का रूख किया है.
कैल्स रिफाइनरीज की लिस्टिंग से जुड़ा है मामला
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सेबी अधिकारियों की ओर से पेश हुए, जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई बीएसई अधिकारियों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. मुंबई के एक विशेष अदालत ने एसीबी कोर्ट ने 1 मार्च को पूर्व सेबी अध्यक्ष माधवी पुरी बुच और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज कराने का आदेश दिया. इन पर 1994 में तेल एवं गैस को रिफाइन और उनका विपणन करने वाली कंपनी कैल्स रिफाइनरीज की बीएसई में लिस्टिंग के दौरान हुई कथित अनियमितताओं का आरोप है.
इन पर लगे आरोप
स्पेशल एसीबी कोर्ट के जज शशिकांत एकनाथराव बांगर ने शनिवार को पारित आदेश में कहा, ”प्रथम दृष्टया विनियामकीय चूक और मिलीभगत के सबूत हैं, जिसके लिए निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है.” कोर्ट ने ACB को 30 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने का भी आदेश दिया है. माधबी पुरी बुच के अलावा, अश्विनी भाटिया (सेबी के पूर्णकालिक सदस्य), अनंत नारायण जी (सेबी के पूर्णकालिक सदस्य), कमलेश चंद्र वर्श्नेय (सेबी के वरिष्ठ अधिकारी), प्रमोद अग्रवाल (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के अध्यक्ष), सुंदररमन राममूर्ति (बीएसई के सीईओ) के खिलाफ FIR दर्ज करने का फैसला सुनाया है.
BSE ने मामले पर दी सफाई
कोर्ट ने ठाणे बेस्ड जर्नलिस्ट सपन श्रीवास्तव की ओर से दायर याचिका के बाद अपना फैसला सुनाया है. इस पर BSE का कहना है कि धोखाधड़ी के मामले में जिन अधिकारियों का नाम लिया जा रहा है वे कंपनी की लिस्टिंग के वक्त न ही अपने पदों पर थे और न ही ये किसी प्रकार से कंपनी से जुड़े हुए हैं. यह आवेदन बेवजह परेशान करने वाला है. सेबी ने भी अपने जारी बयान में यह कहा है कि शिकायतकर्ता आदतन मुकदमाबाजी कर रहे हैं. उसके पिछले कुछ आवेदनों को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया था और कुछ मामलों पर जुर्माना भी लगा था.