तीस हजारी कोर्ट ने एक नाबालिग लड़की की रेप के बाद हत्या करने के जुर्म में एक व्यक्ति को दोषी ठहराया है. कोर्ट ने इस मामले में दोषी के पिता को भी सजा सुनाई है, जिसने बच्ची की हत्या में उसकी मदद की थी. लड़की 9 फरवरी, 2019 को लापता हो गई थी. उसका शव दो दिन बाद एक पार्क में मिला था तथा और उसके हाथ-पैर बंधे हुए थे.
तीसहजारी कोर्ट ने मामले में सुनाया अहम आदेश
तीस हजारी कोर्ट की एडिशनल सेशन जज बबीता पुनिया ने कहा कि परिस्थितियां और दिल्ली पुलिस के सबूत पूरे घटनाक्रम को जोड़ता है, जिससे यह कहा जा सकता है कि 27 साल के राजेंद्र ने अपनी हवस पूरी करने के लिए लड़की का अपहरण किया और उसका यौन उत्पीड़न किया.
उसका अपराध उचित संदेह से परे साबित हुआ है. वहीं, पेश सबूतों के आधार पर यह साबित हुआ कि वह व्यक्ति और उसका पिता क्रूर हत्या के लिए जिम्मेदार हैं. दोषी राजेंद्र को जहां रेप, हत्या और किडनैपिंग के अलावा पॉक्सो अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया है. वहीं, 57 साल के सरन को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत दोषी ठहराया गया है.
कोर्ट ने कहीं अहम बातें
तीस हजारी कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए इस मामले में कहा कि दिल्ली पुलिस के द्वारा जांच के बाद पेश की गई पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि पीड़िता की किडनैपिंग के पीछे की वजह हवस थी और उसकी हत्या कर उसके शव को पार्क में छुपाया गया ताकि कानूनी सजा से खुद को बचाया जा सके.
दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश वकील ने कोर्ट में दलील दी कि आरोपी राजेंद्र ने चिप्स का लालच देकर नाबालिग पीड़िता को बहलाया-फुसलाया और अपने घर पर उसका उत्पीड़न किया. दरअसल, लड़की 9 फरवरी 2019 को लापता हो गई थी और दो दिन बाद उसका शव एक पार्क में मिला था, जिसके हाथ-पैर बंधे हुए थे. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी पिता-पुत्र ने बच्ची के शव को एक सूटकेस में रखकर स्कूटर पर ले जाकर दिल्ली विकास प्राधिकरण पार्क में फेंक दिया था.