भारत की GDP वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में भले ही मात्र 5.4 परसेंट की दर से बढ़ी थी, लेकिन तीसरी तिमाही में इसमें कुछ सुधार की उम्मीद लगाई जा रही है. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी टैरिफ, रुपये में गिरावट जैसी तमाम अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है. बैंक ने अक्टूबर-दिसंबर तिमाही (Q3 FY25) के लिए देश की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.2-6.3 परसेंट के बीच रहने का लगाया है.
पिछली तिमाही में इतनी बढ़ी जीडीपी
रॉयटर्स के अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था पिछली तिमाही में 6.3 परसेंट की दर से बढ़ा है, जो मुख्य रूप से सरकारी खर्च में वृद्धि के कारण संभव हुआ. इससे कमजोर घरेलू मांग को बैलेंस करने में मदद मिली. पिछले साल अप्रैल-जून में हुए चुनावों के चलते सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर में खर्च में कटौती करनी पड़ी थी, जो पिछले कुछ सालों में आर्थिक विकास का प्रमुख कारक था.
यह है इकोनॉमिक ग्रोथ की वजह
जुलाई-सितंबर में देश की जीडीपी घटकर 5.4 परसेंट रह गई थी, जो पिछले वित्त वर्ष के 8.2 परसेंट से काफी कम है. तब से लेकर अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से अरबों डॉलर निकाल चुके हैं. हालांकि, साल 2024 के आखिरी तीन महीनों में सरकारी खर्च में दोहरे अंकों में वृद्धि होने की संभावना है. ऐसे में इकोनॉमिक ग्रोथ की वजह घरेलू मांग की जगह सरकारी पॉलिसी अधिक है. वैसे आमतौर पर अक्टूबर से दिसंबर तक त्योहारी सीजन के दौरान घरेलू चीजों की डिमांड और खपत बढ़ जाती है, जो बीते साल अपेक्षाकृत कुछ कम रही.
अर्थशास्त्रियों ने लगाया यह अनुमान
17-24 फरवरी को रॉयटर्स के अर्थशास्त्रियों के बीच कराए गए एक पोल के मुताबिक, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत की जीडीपी अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में सालाना 6.3 परसेंट की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो पिछली तिमाही में लगभग दो साल के निचले स्तर 5.4 परसेंट से ज्यादा है. 28 फरवरी को सरकार द्वारा जारी डेटा के लिए पूर्वानुमान 5.8 परसेंट से 7.4 परसेंट के बीच लगाया गया है.