संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षा माना जाता है, और इसे पास करने के लिए डिटरमिनेशन, डेडिकेशन और कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है. इस परीक्षा में सफलता केवल सबसे होशियार और सबसे मेहनती लोगों को मिलती है. हम आपके लिए एक खास सीरीज ‘सक्सेस मंत्रा’ लेकर आए हैं, जिसमें आज हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु के कडली रोड जिले की रहने वाली दो बहनों सुश्मिता रामनाथन और ईश्वर्या रामनाथन की. ये दोनों बहनें एक किसान के परिवार से हैं, और उनके लिए UPSC परीक्षा को पास करना एक बड़ा संघर्ष था.
सूनामी में बह गया था घर फिर भी नहीं हारी हिम्मत
सुश्मिता और ईश्वर्या का परिवार खेती किसानी करता था और उन्हें बचपन में पढ़ाई के लिए सीमित संसाधनों का सामना करना पड़ा. 2004 में आई सूनामी के कारण उनका घर भी बह गया, लेकिन इस दुखद घटना ने उनकी हिम्मत को नहीं तोड़ा. इसके बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और मुश्किलों के सामने हार मानने के बजाय अपनी मेहनत को और भी बढ़ा दिया.
पहले प्रयास में बनी RAS, दूसरे अटेम्प्ट में बनी IAS
इन कठिनाइयों के बावजूद, दोनों बहनों ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की. ईश्वर्या, जो छोटी बहन हैं, सबसे पहले सफलता प्राप्त करने वाली थीं. उन्होंने 2018 में UPSC परीक्षा पास की और भारतीय रेलवे लेखा सेवा (RAS) में चयनित हुईं. हालांकि, उन्हें अपनी रैंक से संतुष्टि नहीं थी, और उन्होंने एक बार फिर परीक्षा देने का फैसला लिया. 2019 में उन्होंने दोबारा UPSC CSE परीक्षा दी और 44वीं रैंक हासिल की. केवल 22 साल की उम्र में, वह तमिलनाडु कैडर की IAS अधिकारी बनीं और अब वह तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले में अतिरिक्त कलेक्टर (विकास) के रूप में कार्यरत हैं.
छठे प्रयास में दूसरी बहन बनी IPS
वहीं, सुश्मिता के लिए यह रास्ता इतना आसान नहीं था. उन्होंने पहली बार पांच प्रयासों में UPSC परीक्षा में सफलता नहीं पाई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. लगातार असफलताओं के बावजूद उन्होंने मेहनत और डिटरमिनेशन के साथ अपने लक्ष्य को आगे बढ़ाया. 2022 में अपने छठे प्रयास में उन्होंने 528वीं रैंक हासिल की और आंध्र प्रदेश कैडर की IPS अधिकारी बनीं. वर्तमान में वह आंध्र प्रदेश के काकिनाडा जिले में सहायक पुलिस अधीक्षक (ASP) के रूप में कार्यरत हैं.
दोनों बहनों का सफर रहा चुनौतीपूर्ण
इन दोनों बहनों की यात्रा यह साबित करती है कि यदि आपके पास मेहनत, समर्पण और धैर्य हो, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती. सुश्मिता और ईश्वर्या की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, अगर इरादा मजबूत हो, तो सफलता अवश्य मिलती है. इन दोनों बहनों ने यह साबित कर दिया कि कठिनाइयों के बावजूद अगर लक्ष्य की ओर मेहनत और डिटरमिनेशन से बढ़ा जाए, तो कोई भी सपना साकार हो सकता है.