छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में मुठभेड़ में मारे गए 16 माओवादियों में से 12 की पहचान कर ली गई है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इनमें माओवादियों की केंद्रीय समिति का सदस्य चलपति उर्फ जयराम समेत कुल तीन करोड़ रुपये के इनामी नक्सली शामिल हैं. छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सीमा में केंद्र और राज्य के संयुक्त सुरक्षाबलों ने सोमवार से बुधवार तक 72 घंटे तक चले अभियान में 16 नक्सलियों को मार गिराया
पुलिस के मुताबिक, सुरक्षाबलों ने अभियान के दौरान सोमवार को दो नक्सलियों के और मंगलवार को 12 नक्सलियों के शव बरामद किए था. वहीं, बुधवार को दो अन्य नक्सलियों के शव बरामद किए गए. उन्होंने बताया कि इस मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों में से 12 की पहचान कर ली गई है.
चलपति पर था 90 लाख का इनाम
अधिकारियों के मुताबिक, जयराम के सिर पर छत्तीसगढ़ में 40 लाख रुपये, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में 25-25 लाख रुपये का इनाम था. इस तरह उसपर कुल 90 लाख रुपये का इनाम था. जयराम आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले का निवासी था. उसके परिवार को शव सौंपा जा रहा है. इसके साथ ही सुरक्षाबलों ने इस मुठभेड़ में 65 लाख रुपये के इनामी ओडिशा राज्य समिति के सदस्य जयराम उर्फ गुड्डू (50), 65 लाख रुपये के इनामी धमतरी—गरियाबंद—नुआपाड़ा डिवीजन के प्रमुख सत्यम गावड़े उर्फ सुरेंदर को भी मार गिराया है.
गुड्डू छत्तीसगढ़ के सुकमा और सत्यम कांकेर जिले के निवासी थे. मुठभेड़ में 18 लाख रुपये के इनामी डिविजनल कमेटी सदस्य आलोक उर्फ मुन्ना, 13-13 लाख रुपये के इनामी एरिया कमेटी सदस्य शंकर, कलमू देवे, मंजू (महिला), रिंकी (महिला) और 14 लाख रुपये के इनामी कंपनी नंबर एक का सदस्य मन्नू शामिल है. इस मुठभेड़ में तीन-तीन लाख रुपये के इनामी सुखराम (चलपति का गार्ड), रामे ओयाम (महिला) और जैनी उर्फ मासे भी मारे गए हैं.
पहली बार मिली इतनी बड़ी सफलता
रायपुर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) अमरेश मिश्रा ने बताया कि अन्य नक्सलियों की पहचान कराई जा रही है. छत्तीसगढ़ में यह पहली बार है किसी मुठभेड़ में माओवादियों का केंद्रीय समिति सदस्य मारा गया है. वहीं यह पहली बार है जब बड़े कैडर के नक्सलियों को एक अभियान में मार गिराया गया है.
नक्सलियों के खात्मा अभियान में बड़ा कदम
पुलिस अधिकारी का कहना है कि इस मुठभेड़ ने छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर नक्सलियों को बैकफुट पर ला दिया है तथा इससे राज्य के धमतरी, गरियाबंद जैसे जिलों में उनकी गतिविधियों पर असर होगा. यह मुठभेड़ मार्च 2026 तक देश से नक्सली समस्या के खात्मे के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है.