आगामी बजट को लेकर माइक्रो फाइनेंस कंपनियों ने भारत सरकार से काफी उम्मीदें लगा रखी हैं. क्योंकि लो इनकम ग्रुप को कोलेटरल फ्री लोन यही कंपनियां उपलब्ध कराती हैं. ये कंपनियां बॉटम लाइन में लिक्विडिटी बनाने में काफी मददगार होती हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आम बजट 2025 में भारत सरकार माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के लिए स्पेशल फंड का एलान कर सकती है.
संकट में है माइक्रो फाइनेंस सेक्टर
रिजर्व बैंक समेत कई एजेंसियों की हाल में आई रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत का माइक्रो फाइनेंस सेक्टर संकट में है. माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के दिए लोन के डूबने का रेशियो बढ़ गया है. इस कारण इन कंपनियों के मुनाफे कम हो रहे हैं, जो आगे घाटे के स्तर पर जाकर फाइनेंस सेक्टर में भूचाल ला सकते हैं. क्योंकि माइक्रो फाइनेंस कंपनियों ने भी बैंको से लोन ले रखी हैं. इस कारण माइक्रो फाइनेंस क्राइसिस का असर पूरे बैंकिंग सेक्टर पर भी पड़ सकता है.
स्मॉल और मिड साइज माइक्रो फाइनेंस कंपनियों को होगा फायदा
बजट में भारत सरकार की ओर से उठाए जाने वाले संभावित कदम से स्मॉल और मिड साइज माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के फायदे की उम्मीद जताई जा रही है. बजट में माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के लिए स्पेशल फंड का मकसद इस सेक्टर के अधिक से अधिक ग्रोथ के अलावा और भी कंपनियों की भागीदारी कराकर इनका विस्तार करना हो सकता है.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लिए सरकार स्मॉल और मिड साइज माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस को इक्विटी सपोर्ट दे सकती है. 2013 में ही भारत सरकार ने सिडबी के तहत 100 करोड़ के इंडिया माइक्रो फाइनेंस इक्विटी फंड की स्थापना की थी. लेकिन इसके साथ जुड़े शर्त माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस को फंड ट्रांसफर करने में बाधक बन गए.
नए इक्विटी फंड की सरकार कर सकती है घोषणा
फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस को इक्विटी फंड ट्रांसफर करने में रियायत देने के लिए सरकार नए फंड की घोषणा भी कर सकती है. यह सिडबी या सिडबी की जगह नाबार्ड या किसी दूसरे इंस्टीट्यूशन के तहत भी हो सकता है.